वैश्विक जलवायु नीति को पुनर्परिभाषित करने वाले ऐतिहासिक कदम में, यूरोपीय संघ (ईयू) और संयुक्त राज्य अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता, जो 26 मई, 2025 को हस्ताक्षरित हुआ, एक नाज़ुक समय पर आया है जब दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभावों से जूझ रही है।

समझौते के मुख्य बिंदु

  • नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में संयुक्त निवेश।
  • 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 50% कम करने का समर्पण।
  • पर्यावरण विनियमन का निरीक्षण और लागू करने के लिए एक संयुक्त टास्क फोर्स की स्थापना।
  • अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में बढ़ी हुई सहयोग।

वैश्विक विदेश नीति पर प्रभाव

यह समझौता वैश्विक विदेश नीति पर दूरगामी प्रभाव डालने की उम्मीद है। यह दो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता दिखाता है। सहयोग को दूसरे देशों के लिए एक मॉडल के रूप में भी देखा जा रहा है, जो दुनिया भर में समान समझौतों की प्रेरणा दे सकता है।

नेताओं की प्रतिक्रियाएँ

ईयू और यूएस दोनों के नेताऐ ने समझौते के बारे में आशावाद व्यक्त किया है। ईयू अध्यक्ष उर्सुला वॉन डर लेयेन ने इसे 'जलवायु परिवर्तन से लड़ने के एक मोड़' कहा, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने इसे 'ऐतिहासिक पल' कहा जो एक हरे भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

समझौते ने पर्यावरण संगठनों और कार्यकर्ताओं से भी प्रशंसा प्राप्त की है, जो इसे वैश्विक जलवायु परिवर्तन मितिगेशन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं।