ग्लोबल समिट 2025: बढ़ती तनाव के बीच अप्रत्याशित सहयोग

ग्लोबल समिट 2025: बढ़ती तनाव के बीच अप्रत्याशित सहयोग
एक ऐसी दुनिया में जहाँ भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अस्थिरता का दौर चल रहा है, जिनेवा, स्विट्जरलैंड में हुए ग्लोबल समिट 2025 ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक आशा का किरण बन कर उभरा। 150 से अधिक देशों के नेताओं ने जलवायु परिवर्तन, परमाणु निरस्त्रीकरण और आर्थिक असमानताओं जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिए एकत्र हुए।
एक नया दौर राजनयिक
संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुटेरेस द्वारा अध्यक्षता में चलाया गया यह सम्मेलन, अभूतपूर्व स्तर की वार्ता और सहमति देखी। प्रमुख हाइलाइट्स में शामिल हैं:
- 120 देशों द्वारा संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए, जो 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 50% तक कम करने का वादा करती है।
- प्रमुख परमाणु शक्तियों द्वारा समर्थित एक व्यापक परमाणु निरस्त्रीकरण संधि, जिसका लक्ष्य 2050 तक परमाणु हथियारों को खत्म करना है।
- आर्थिक सहयोग संधि जो वैश्विक बाजारों को स्थिर करने और व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए है।
चुनौतियां और आलोचनाएं
इन उपलब्धियों के बावजूद, सम्मेलन को विभिन्न पक्षों से आलोचना का सामना करना पड़ा। कुछ छोटे देशों ने तर्क दिया कि निर्णय प्रक्रिया में उनकी आवाज पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करती थी। इसके अलावा, पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अधिक उद्देश्यपूर्ण जलवायु लक्ष्यों की मांग की, जो तत्काल कार्य की जरूरत का हवाला देते हैं।
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ग्लोबल समिट 2025 के परिणामों का गहरा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। पहुंचे गए समझौतों ने भविष्य के अंतरराष्ट्रीय सहयोगों के लिए मंच तैयार किया है और वैश्विक नीति निर्माण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। जबकि दुनिया जटिल चुनौतियों से जूझ रही है, इस सम्मेलन में पैदा हुई सहयोग की भावना एक अधिक एकजुट और सहनशील वैश्विक समुदाय के लिए आशा की एक किरण प्रदान करती है।